Ken-Betwa Project: दशकों की पानी की कमी का हल या नई समस्याओं की शुरुआत?

प्रधानमंत्री मोदी ने किया उद्घाटन

Ken-Betwa Project: 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिनमें एक प्रमुख परियोजना केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना (KBLP) है। यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की भारी कमी को दूर करने के लिए केन नदी से बेतवा नदी में पानी लाने की योजना पर आधारित है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “बुंदेलखंड के लोग दशकों से पानी की कमी का सामना कर रहे थे। यह परियोजना उनके जीवन को बदलने का महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।”

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना क्या है?

यह परियोजना केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना है। इसकी मुख्य विशेषताएँ:

  • दौधन बांध का निर्माण: इस बांध के माध्यम से केन नदी से 221 किमी लंबी नहर के जरिए पानी बेतवा नदी में पहुंचाया जाएगा।
  • ऊर्जा उत्पादन: परियोजना से 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।
  • सिंचाई और पेयजल: यह परियोजना 13 जिलों में 10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की सिंचाई करेगी और 6.4 मिलियन लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराएगी।

पर्यावरणीय चिंताएं

हालांकि इस परियोजना से क्षेत्रीय विकास की उम्मीदें हैं, लेकिन पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों ने इसके कई दुष्प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की है। परियोजना का बड़ा हिस्सा पन्ना राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में आता है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों और जीवों पर असर पड़ सकता है।

  • पेड़ की कटाई: 2.3 मिलियन से ज्यादा पेड़ काटने की आवश्यकता होगी।
  • टाइगर रिजर्व पर असर: टाइगर रिजर्व का 10% हिस्सा जलमग्न हो सकता है।
  • प्राकृतिक प्रजातियों पर खतरा: गिद्ध, महासीर मछली और घड़ियाल जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा हो सकता है।
ALSO READ  Saudi Ministry of Health takes a big step: Employees were terminated
विवाद और चुनौतियाँ

कांग्रेस और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसे पारिस्थितिकी और वन्यजीवों के लिए खतरा बताया है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने कहा था कि परियोजना के प्रभावों का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया गया। इसके अलावा, केन नदी में “अधिशेष पानी” होने के सरकारी दावे पर भी सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि विशेषज्ञों ने नए डेटा की मांग की है, लेकिन सरकार ने अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया है।

क्षेत्रीय विकास की उम्मीदें

पर्यावरणीय चिंताओं के बावजूद, यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की समस्या को हल करने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने की उम्मीद जगाती है। यदि सही तरीके से लागू की जाती है, तो यह परियोजना क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभा सकती है।

Leave a Comment