Haryana-Punjab सीमा पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज एक नए मोड़ पर पहुंच गया, जब हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया। इस घटना में कम से कम 10 किसान घायल हुए। किसान अपनी प्रमुख मांगों, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी, को लेकर दबाव बनाने के लिए दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे।
किसानों की प्रमुख मांगे
किसान संगठन कई मुद्दों पर सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): इसे कानूनी रूप से लागू करने की गारंटी।
- कृषि ऋण माफी और किसानों के लिए पेंशन।
- बिजली दरों में स्थिरता और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना।
- 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय और किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को वापस लेना।
मार्च का प्रयास और सरकार की प्रतिक्रिया
आज के मार्च से पहले, हरियाणा सरकार ने अंबाला के 12 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाओं को 17 दिसंबर तक के लिए बंद कर दिया। सुरक्षा बलों ने किसानों को रोकने के लिए बहुस्तरीय बैरिकेडिंग लगाई थी। यह किसानों का 6 दिसंबर के बाद दिल्ली की ओर तीसरा प्रयास था।
कांग्रेस नेता और पहलवान बजरंग पुनिया ने शंभू बॉर्डर पर किसानों के साथ खड़े होकर सरकार की नीतियों की आलोचना की। उन्होंने कहा, एक तरफ सरकार कहती है कि किसानों को रोका नहीं जा रहा, लेकिन दूसरी तरफ आंसू गैस और पानी की बौछारें की जा रही हैं। यह ऐसा व्यवहार है जैसे यह पाकिस्तान की सीमा हो।
सुप्रीम कोर्ट की दखल
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 19 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वे श्री डल्लेवाल से मुलाकात करें और उन्हें अनशन तोड़ने के लिए मनाएं।