सऊदी अरब में नया बदलाव
हाल ही में Saudi Arabia के Crown Prince Mohammed Bin Salman की अध्यक्षता में अल उला के अंदर एक महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। इस मीटिंग में 16 बड़े फैसले लिए गए, जिनमें से एक बहुत अहम फैसला जबरदस्ती काम कराने के मुद्दे पर केंद्रित है। यह कानून उन प्रवासी कामगारों के अधिकारों की रक्षा करता है, जिनसे सऊदी अरब में उनकी मर्जी के खिलाफ काम कराया जाता है।
जबरदस्ती काम कराने की समस्या
बहुत से लोग इस बात की शिकायत करते हैं कि वे सऊदी अरब में एक खास पेशे के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें किसी और प्रकार का काम करने पर मजबूर किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक इलेक्ट्रिशियन या प्लंबर को लेबर का काम करने पर मजबूर किया जाता है, या किसी लेबर से टेक्निशियन का काम लिया जाता है। इसके अलावा, जिन कामगारों की ड्यूटी 8 घंटे की होती है, उनसे 10, 11, या 12 घंटे तक काम कराया जाता है। अक्सर ऐसा होता है कि ड्यूटी खत्म होने के बाद भी उन्हें काम करने की मजबूरी का सामना करना पड़ता है।
नया कानून और उसके फायदे
सऊदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई कफील या कंपनी आपसे जबरदस्ती काम कराता है, तो आप उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इस कानून के तहत अगर कोई कामगार ऐसा केस दर्ज करता है और जीतता है, तो उसे कई विकल्प दिए जाएंगे:
- वह किसी दूसरे कफील या कंपनी के पास ट्रांसफर हो सकता है।
- वह फाइनल एग्जिट वीजा लेकर अपने देश वापस जा सकता है।
- कफील और वर्कर के बीच समझौते के माध्यम से समस्या का समाधान किया जाएगा।
यह कानून सऊदी अरब की लेबर मार्केट को बेहतर बनाने और प्रकार कामगारों के अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
प्रवासी कामगारों के लिए संदेश
सभी प्रवासी कामगारों को यह बताया गया है कि अगर कोई कफील या कंपनी उनसे जबरदस्ती काम कराती है, तो वे उनके खिलाफ केस कर सकते हैं। यह कदम इस बात को सुनिश्चित करेगा कि कामगारों को उनके अधिकार मिलें और उनके साथ कोई अन्याय न हो।