1 राज्य – 1 आरआरबी: सरकार का बड़ा कदम
Bharat सरकार 1 मई 2025 से देशभर के 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का विलय करने जा रही है। अब हर राज्य में केवल एक ही आरआरबी बैंक होगा। यह कदम “वन स्टेट, वन आरआरबी” योजना के तहत लिया जा रहा है। सरकार का मानना है कि इससे बैंकिंग सेवाओं में पारदर्शिता, दक्षता और टेक्नोलॉजी की गुणवत्ता बढ़ेगी।
किन राज्यों में होगा विलय?
यह योजना देश के 11 राज्यों में लागू होगी। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान। इन राज्यों के सभी आरआरबी को मिलाकर एक-एक राज्य स्तरीय आरआरबी बैंक बनाया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य
ग्रामीण बैंकों की स्थापना का मकसद गांवों में रहने वाले किसानों, मजदूरों और कारीगरों को सस्ती बैंकिंग सेवाएं देना था। अब सरकार चाहती है कि इन बैंकों को मिलाकर एक बड़ी, मजबूत इकाई बनाई जाए जिससे सेवा बेहतर हो, टेक्नोलॉजी अपग्रेड हो और ग्राहकों को ज्यादा फायदा मिले।
मर्जर के बाद क्या होगा बदलाव?
मर्जर के बाद देश में कुल 28 आरआरबी बैंक रहेंगे, जो 700 जिलों में काम करेंगे और जिनकी 22,000 से अधिक शाखाएं होंगी। 92% शाखाएं ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में होंगी। सभी ग्राहकों को एक जैसी सेवाएं, एक जैसे चार्ज, बेहतर डिजिटल बैंकिंग, फास्ट लोन अप्रूवल और आसान शिकायत समाधान मिलेगा।
खाताधारकों पर असर
अगर आपका खाता किसी मर्ज होने वाले बैंक में है तो घबराने की जरूरत नहीं। आपका खाता नंबर वही रहेगा या अगर बदला गया तो SMS या WhatsApp के ज़रिए जानकारी मिल जाएगी। हो सकता है कि चेकबुक, पासबुक और डेबिट कार्ड अपडेट करने की जरूरत पड़े – इसके लिए बैंक आपको सूचना देगा।
कुछ राज्यों का उदाहरण
उत्तर प्रदेश में बड़ौदा यूपी बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक मिलकर एक नया “उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक” बन जाएगा, जिसका मुख्यालय लखनऊ होगा। आंध्र प्रदेश में चार बैंकों का विलय कर नया बैंक बनेगा। ऐसे ही अन्य राज्यों में भी मर्जर होंगे।
हिस्सेदारी और पूंजी
अब आरआरबी में केंद्र सरकार और प्रायोजक बैंकों की कम से कम 51% हिस्सेदारी होगी जिससे इन बैंकों का पूरा नियंत्रण सरकार के पास रहेगा और ग्राहकों का पैसा ज्यादा सुरक्षित रहेगा। साथ ही इन बैंकों के पास कम से कम 2000 करोड़ की पूंजी होगी, जिससे उनकी ताकत और बढ़ेगी।
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