Ayodhya Mosque Construction में घोटाला राजनीति और आरोपों का घेरा

अयोध्या मस्जिद निर्माण विवाद


अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए बनी समितियों को भंग किया गया। हाल ही में, सभी चार समितियों पर अवैध चंदा वसूली के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसके चलते उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कार्रवाई की है। इन आरोपों के चलते यूपी की राजनीति में भी हलचल मचने के आसार हैं। मस्जिद निर्माण का मामला, जो काफी समय से शांत था, एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

मस्जिद निर्माण और सुप्रीम कोर्ट का आदेश

दरअसल, बाबरी मस्जिद के बदले अयोध्या के धनीपुर में एक नई मस्जिद का निर्माण होना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, इस मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को उपलब्ध कराई गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 5 साल बाद भी मस्जिद निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ है। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मस्जिद निर्माण के लिए चार अलग-अलग समितियों का गठन किया था, जिन पर अब घोटाले के आरोप लगे हैं।

राम मंदिर का निर्माण और मस्जिद निर्माण में देरी

दूसरी ओर, राम मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कर दिया गया है। जबकि, अयोध्या में मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन मिलने के बावजूद, अभी तक मस्जिद निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ है। यह स्थिति संकेत देती है कि मस्जिद निर्माण की राह में राजनीतिक अड़चनें जरूर हैं।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की भूमिका

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि मस्जिद निर्माण के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। बोर्ड की तरफ से कई दावे किए गए हैं, लेकिन अब तक मस्जिद निर्माण में कोई ठोस प्रगति नहीं दिखी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कहीं ना कहीं बोर्ड की लापरवाही भी इस मामले में अहम भूमिका निभा रही है।

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conclusion

अयोध्या में मस्जिद निर्माण को लेकर विवाद और आरोपों का सिलसिला अब भी जारी है। राजनीतिक और प्रशासनिक जटिलताओं के कारण मस्जिद निर्माण का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। राम मंदिर का निर्माण जहां पूरा हो चुका है, वहीं मस्जिद का निर्माण सवालों के घेरे में है। क्या इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से देरी हो रही है? यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह मामला किस दिशा में जाता है।

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