बढ़ती जंग और दो हिस्सों में बंटती दुनिया
Israel Iran War दिन-ब-दिन तेज़ होती जा रही है। पूरी दुनिया इस युद्ध को लेकर तनाव में है और देश दो खेमों में बंटते दिख रहे हैं एक ओर वे जो इजराइल का समर्थन करते हैं, और दूसरी ओर ईरान के पक्षधर देश।
लेकिन खास बात ये है कि किसी भी देश ने खुलकर इजराइल का साथ नहीं दिया है, वहीं ईरान को कई मुस्लिम देशों से खुला समर्थन मिल रहा है।
भारत की तटस्थता बनी सवालों का केंद्र
अब तक India’s stand on Iran Israel conflict पूरी तरह तटस्थ रहा है। भारत ने न तो इजराइल का समर्थन किया है, न ही ईरान के पक्ष में कोई स्पष्ट बयान दिया है।
हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक बैठक में जब इजराइली हमलों की निंदा की गई, तो भारत ने उस बयान से भी खुद को अलग कर लिया।
ईरान का सीधा संदेश: अब तटस्थ रहना संभव नहीं
Middle East tensions के बीच अब ईरान ने भारत को खुली चेतावनी दे दी है।
ईरानी दूतावास के मिशन उप प्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने कहा कि भारत अब इस जंग से खुद को अलग नहीं रख सकता।
उनका साफ कहना है कि इजराइल के हमले अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन हैं, और भारत को एक जिम्मेदार वैश्विक नेता की तरह इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
भारत के रिश्ते: एक तरफ सैन्य सहयोग, दूसरी तरफ ऐतिहासिक संबंध
भारत के इजराइल के साथ इस समय मजबूत सैन्य और तकनीकी संबंध हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों का बड़ा व्यापार होता है।
वहीं दूसरी ओर, भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, खासकर तेल और ऊर्जा क्षेत्र में।
भारत किसका साथ देगा?
इस युद्ध में भारत की चुप्पी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बन चुकी है।
क्या भारत इजराइल के साथ अपने सामरिक हितों को चुनेगा या ईरान के पारंपरिक रिश्तों को प्राथमिकता देगा—यह आने वाले समय में साफ होगा।
फिलहाल भारत ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने और कूटनीतिक समाधान की अपील की है, लेकिन Iran’s warning to India on Israel conflict को अब हल्के में नहीं लिया जा सकता।