Saudi Arab से एक बड़ी खबर सामने आई है। अब मक्का मुकर्रमा में भी क्लाउड सीडिंग के ज़रिए बारिश कराना संभव हो गया है।
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तरीका है जिससे इंसान अपने कंट्रोल से बारिश करा सकता है। यह तकनीक दुनिया के कई देशों में पहले से इस्तेमाल हो रही है।
क्लाउड सीडिंग कैसे होती है?
सबसे पहले एक एयरप्लेन में सिल्वर आयोडाइड नाम का केमिकल भरा जाता है। फिर इस केमिकल को आसमान में बादलों के बीच छोड़ा जाता है।
बादलों में जो नमी होती है, वह सिल्वर आयोडाइड के संपर्क में आकर छोटे-छोटे आइस क्रिस्टल में बदल जाती है। यही क्रिस्टल धीरे-धीरे पानी की बूंद बनते हैं और फिर बारिश के रूप में ज़मीन पर गिरते हैं।
यह पूरी प्रक्रिया कुछ ही घंटों में असर दिखा सकती है।
सऊदी अरब का नया प्रयोग
नई रिसर्च के मुताबिक, अब ताइफ़ शहर के बादलों को मक्का तक ट्रांसफर किया जा सकता है। इसका मतलब है कि अगर मक्का में बादल नहीं हैं, तो ताइफ़ से वहां बादल भेजे जा सकते हैं।
सऊदी अरब क्लाउड सीडिंग प्रोग्राम के ऑपरेशनल डायरेक्टर एमएनएल बार ने इस प्रयोग को एक बड़ी सफलता बताया है। उनका कहना है कि फिजिक्स के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए यह ट्रांसफर किया गया और यह टेस्ट काफी हद तक कामयाब रहा।
अब बारिश पर इंसानी कंट्रोल
इस नई तकनीक से अब सिर्फ बारिश कराना ही नहीं, बल्कि यह तय करना भी संभव हो गया है कि बारिश कहां करानी है। इसका मतलब है, जरूरत के हिसाब से बादलों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकता है।
फिर वहां क्लाउड सीडिंग करके बारिश कराई जा सकती है। यह पूरी प्रक्रिया मौसम की मार झेल रहे इलाकों के लिए एक उम्मीद की किरण बन सकती है।
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