Vaikuntha Ekadashi 2025
वैकुंठ एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ और पवित्र दिन है, जिसे भगवान विष्णु के भक्त विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। 2025 में यह पावन एकादशी 27 जनवरी को मनाई जाएगी।
वैकुंठ एकादशी की तिथि और पारण का समय
- व्रत की तिथि: 27 जनवरी 2025
- पारण का समय: 28 जनवरी को सूर्योदय के बाद, द्वादशी तिथि के भीतर।
व्रत का पारण एक विशेष प्रक्रिया है, जो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किया जाता है। इसे सही समय पर करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
वैकुंठ एकादशी की पूजा विधि
पूजा की तैयारी:
- सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें।
- विष्णु प्रतिमा: भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- सामग्री: फूल, धूप, दीपक, तुलसी के पत्ते, और फल तैयार रखें।
पूजा और व्रत का क्रम:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें।
- तुलसी पत्र अर्पित करते हुए विष्णु मंत्रों का जाप करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- दीप जलाकर भगवान की आरती करें।
वैकुंठ एकादशी का महत्व
धार्मिक महत्व:
इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसे ‘मोक्ष एकादशी’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम के द्वार भक्तों के लिए खुलते हैं।
पौराणिक कथा:
राजा रुक्मांगद के व्रत और भक्ति का वर्णन इस एकादशी से जुड़ा है। उन्होंने वैकुंठ एकादशी का पालन कर मोक्ष प्राप्त किया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
उपवास के दौरान शरीर को डिटॉक्स करने का अवसर मिलता है, जिससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
वैकुंठ एकादशी व्रत के नियम
- अन्न का सेवन न करें।
- फल और जल ग्रहण करें।
- अहिंसा का पालन करें।
- दिनभर भक्ति और ध्यान में समय बिताएं।
व्रत के लाभ:
- मानसिक शांति और ध्यान में सुधार।
- पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति।
- परिवार में सुख और समृद्धि का वास।
Conclusion:
वैकुंठ एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। भगवान विष्णु की आराधना और व्रत के माध्यम से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है।