Labor Law: बीमार वर्कर्स के लिए सैलरी के नए नियम जानिए आपका अधिकार

बीमार वर्कर्स के लिए सैलरी से जुड़े महत्वपूर्ण नियम

Labor Law: सऊदी अरब के लेबर कानून के अनुसार, यदि कोई वर्कर बीमार हो जाता है, तो उसकी सैलरी को लेकर कुछ खास प्रावधान हैं। यह कानून वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करता है और कंपनियों पर यह जिम्मेदारी डालता है कि वे इन नियमों का पालन करें।

बीमार वर्कर्स के लिए सैलरी का नियम:

  1. पहले 30 दिन: बीमार वर्कर को उसकी पूरी सैलरी दी जाएगी।
  2. अगले 60 दिन: यदि बीमारी लंबी चलती है, तो वर्कर को एक-तिहाई सैलरी मिलेगी।
  3. चौथे महीने से: यदि वर्कर चार महीने तक काम पर लौटने में असमर्थ रहता है, तो उसे कोई सैलरी नहीं दी जाएगी।

वर्कर की स्थिति के आधार पर कॉन्ट्रैक्ट का समापन:

यदि डॉक्टर यह कहता है कि वर्कर अब काम करने में सक्षम नहीं है, तो कंपनी को यह अधिकार है कि वह वर्कर का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दे। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि बीमार वर्कर को चार महीने तक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।

काम के दौरान चोटिल वर्कर्स के अधिकार

सऊदी अरब का लेबर लॉ (आर्टिकल 29) उन वर्कर्स के लिए सुरक्षा प्रदान करता है, जो काम के दौरान चोटिल हो जाते हैं या किसी दुर्घटना का शिकार होते हैं।

क्या कहता है कानून?

  1. जॉब से नहीं निकाला जाएगा: किसी भी चोटिल वर्कर को तुरंत नौकरी से निकालने की अनुमति नहीं है।
  2. हल्का काम सौंपा जाएगा:
  • यदि वर्कर भारी काम करने में असमर्थ हो, तो कंपनी को उसे उसकी स्थिति के अनुसार हल्का काम देना होगा।
  • उदाहरण के लिए, यदि वर्कर पहले भारी सामान उठाने का काम करता था, तो उसे ऑफिस या प्रशासनिक कार्यों में लगाया जा सकता है।
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सैलरी में कोई कटौती नहीं:

  • हल्का काम करने के बावजूद वर्कर की सैलरी में कोई कमी नहीं की जाएगी।
  • चाहे सैलरी 1000 रियाल हो या 1500 रियाल, उसे पूरी रकम दी जाएगी।

Conclusion:

सऊदी अरब के लेबर कानून वर्कर्स के अधिकारों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

  • बीमार वर्कर्स को चार महीनों तक उनकी स्थिति के अनुसार सैलरी दी जाती है।
  • चोटिल वर्कर्स को हल्का काम देकर उनकी क्षमता का सम्मान किया जाता है।

इन नियमों का पालन करना हर कंपनी की जिम्मेदारी है, ताकि वर्कर्स के अधिकार सुरक्षित रहें और वे आत्मसम्मान के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

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