सऊदी अरब में अगर किसी वर्कर पर ‘Haroob’ लग जाता है, यानी कि कंपनी या कफील (Sponsor) अपने वर्कर को Haroob कर देता है, तो इसका मतलब होता है कि वर्कर कंपनी से भाग गया है या उसका iqama valid नहीं है। Haroob लगने के बाद वर्कर की स्थिति और अधिकारों को लेकर कई सवाल उठते हैं। यहां पर सऊदी अरब के कानूनों में नए बदलाव हुए हैं, जिनकी जानकारी हर वर्कर के लिए ज़रूरी है।
Haroob के बावजूद Nakal Kafala का विकल्प
नए नियमों के मुताबिक, अगर किसी वर्कर पर Haroob लग जाता है, तब भी वर्कर के पास विकल्प मौजूद हैं। Haroob लगने के बावजूद, वर्कर 60 दिनों के भीतर अपना Nakal Kafala (Sponsor बदलना) कर सकता है। इसका मतलब है कि वह किसी दूसरी कंपनी में Transfer हो सकता है और काम जारी रख सकता है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जो वर्करों को एक और मौका देता है।
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60 दिनों की Time Limit
वर्कर के पास 60 दिनों का समय होता है, जिसमें वह या तो अपना इकामा Transfer करा सकता है या फिर Final Exit के लिए आवेदन कर सकता है। अगर वर्कर Final Exit के तहत सऊदी से बाहर चला जाता है, तो वह भविष्य में नए वीज़ा पर सऊदी अरब वापस आ सकता है।
Nakal Kafala या Final Exit का चुनाव
अगर वर्कर 60 दिनों के भीतर Nakal Kafala का विकल्प नहीं चुनता है और न ही Final Exit लेता है, तो उसके लिए स्थिति गंभीर हो सकती है। 60 दिन बाद, अगर वर्कर को पकड़ा जाता है, तो उसे जेल के जरिए सऊदी से बाहर निकाला जाएगा, जिसे ‘Tarheel’ कहते हैं। इस स्थिति में, वर्कर 5 साल तक सऊदी अरब नहीं आ सकेगा।
5 साल का Ban
अगर वर्कर को 60 दिनों के बाद जबरन सऊदी से बाहर निकाला जाता है, तो वह 5 साल तक सऊदी अरब नहीं आ सकेगा। इसके बाद ही वह नए वीज़ा पर वापस आ सकता है। इसलिए, वर्करों के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे समय पर सही विकल्प चुनें, ताकि उनकी भविष्य की योजनाओं पर असर न पड़े।
conclusion
सऊदी अरब में वर्करों के लिए Haroob की स्थिति एक गंभीर मसला है, लेकिन नए नियमों के तहत वर्करों के पास अब ज्यादा विकल्प हैं। 60 दिनों की Time Limit के भीतर या तो Nakal Kafala लेना या Final Exit लगाना महत्वपूर्ण है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो वर्कर को 5 साल तक Ban का सामना करना पड़ सकता है।